लोगों तक अपनी आवाज़ पहुंचाने दिग्गजों ने रेडियो को ही क्यों चुना ?

लोगों तक अपनी आवाज़ पहुंचाने दिग्गजों ने रेडियो को ही क्यों चुना ?
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आकाशवाणी का रायपुर केन्द्र बाकी सभी इमारतों की तरह महज शहर की एक आम इमारत की तरह ही दिखती है. लेकिन इसकी पहचान हल्के नीले रंग से सजी दीवारों पर आकाशवाणी के प्रतीक चिन्ह और उस पर लिखा आकाशवाणी रायपुर इसे ख़ास बनता है. आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र में बदलते वक्त के साथ कई बड़े बदलाव भी हुए है. एक समय ऐसा भी आया जब इसे भूला ही दिया गया था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता से मन की बात करने के लिए इसे चुना और फिर एक बार यहां की रौनक बढ़ गई. मन की बात के असर को देखते हुए छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक राज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी अपनी बात करने के लिए इसी रेडियो को चुना और रमन के गोठ से जनता तक पहुंचे.

और बढ़ता गया सिलसिला:

छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई अगर नहीं बदला तो रेडियो से जुड़ने का सिलसिला. क्योंकि अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लोकवाणी के जरिए जनता से उनकी समस्याएं सुनेंगे और इसी रेडियो के जरिए जन-जन तक पहुंचने की कोशिश रहेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व सीएम रमन सिंह के बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी रेडियो के जरिए लोगों से रूबरू होंगे. देश और प्रदेश में वक्त के साथ कई बदलाव हुए है.

हाइटेक होती एंटरटेनमेंट की दुनिया में भी रेडियो सुनने वालों की तादात कम नहीं है. आज भले दौर व्हाट्स-एप्प और फेसबुक का है, लेकिन चिठ्ठियों की अहमियत आकाशवाणी जैसी संस्था में आज भी बनी हुई है. आपकों ये जानकारी ये हैरानी होगी कि आज भी रेडियो में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के लिए आज भी हजारों चिठ्ठियां आती है. आलम ये है कि आज भी लोग पत्र भेजकर अपनी पसंद के फरमाइशी गीत और कार्यक्रम सुनते है. यहां के कार्यक्रमों में अपनी आवाज़ देने वाले कम्पियरों का भी ये कहना है कि भले ही वक्त बदला हो लेकिन रेडियो के चाहने वालों की कमी नहीं है.

रेडियो की दीवानगी क्या होती है, ये हमें साल 1972 से रेडियो को अपना हमराह बनाने वाले शख्स मोहनलाल देवांगन से पता चला. पेशे से टेलरिंग मास्टर का काम करने वाले मोहनलाल रोजाना करीब 17 से 18 घंटे रेडियो सुनते है. मोहनलाल ही नहीं बल्कि उनके साथ आस-पास के लोग भी रोजाना रेडियो सुनने के आदि है. मोहनलाल  आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों में आज भी रोजाना पत्र और अपनी फरमाइश भेजते है. वहीं मन की बात भी हर बार सुनते है. पहले रमन के गोठ भी सुना करते थे और अब लोकवाणी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात करने के लिए भी उन्होने कॉल लगाकर अपना सवाल रजिस्टर करवाया है.

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