उत्तराखंड के गांव भी अब प्लास्टिक एवं पॉलीथिन के कचरे से हो सकेंगे मुक्त

उत्तराखंड के गांव भी अब प्लास्टिक एवं पॉलीथिन के कचरे से हो सकेंगे मुक्त
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देहरादून

पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड के गांव भी अब प्लास्टिक एवं पॉलीथिन के कचरे से मुक्त हो सकेंगे। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के तहत पंचायतीराज विभाग की इस योजना को मंजूरी दे दी है। योजना में प्रथम चरण में 95 न्याय पंचायतों में एक-एक ग्राम पंचायत का चयन किया जाएगा। प्रत्येक पंचायत में प्लास्टिक- पॉलीथिन एकत्र करने के मद्देनजर कांपेक्टर मशीन लगेगी। इसके बाद कचरे का हरिद्वार के अलीपुर में लगने वाले रिसाइकिलिंग प्लांट में भेज जाएगा। प्लास्टिक कचरे को एकत्र करने का जिम्मा महिला समूहों को दिया जाएगा और उनसे चार रुपये प्रति किलो की दर से इसे खरीदा जाएगा। ऐसे में गांव में आजीविका के साधन भी विकसित होंगे। शहरी क्षेत्रों की भांति ग्रामीण इलाके भी प्लास्टिक-पॉलीथिन के कचरे से अछूते नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से प्लास्टिक कचरे के निस्तारण पर फोकस किए जाने के बाद राज्य में भी हलचल हुई। राज्य के 92 नगर निकायों में इसकी व्यवस्था की गई है, जबकि अब ग्राम पंचायतों में यह मुहिम शुरू की जा रही है। इस कड़ी में पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय के निर्देश पर विभाग की ओर से मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा गया। इसे अब मंजूरी मिल गई है। अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि योजना के तहत गांव प्लास्टिक-पॉलीथिन के कचरे से मुक्त तो होंगे ही, यह आजीविका का साधन भी बनेगा। प्रथम चरण में राज्य की 670 न्याय पंचायतों में से 95 न्याय पंचायतों के एक-एक गांव को लिया जा रहा है। इन गांवों में पॉलीथिन- प्लास्टिक एकत्र करने के लिए शेड बनाने के साथ ही वहां कांपेक्टर मशीन लगाई जाएगी। इसमें संबंधित न्याय पंचायत के आसपास के सभी गांवों से प्लास्टिक- पॉलीथिन को एकत्र किया जाएगा।

Admin

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