ओणम महत्व, कथा और ओणम पर तैयार की जाने वाली खास सद्या थाली

ओणम महत्व, कथा और ओणम पर तैयार की जाने वाली खास सद्या थाली
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Onam 2019: 

ओणम  केरल राज्‍य का एक प्रमुख त्‍योहार है. यह राज्य का कृषि पर्व कहलाता है. इस त्योहार को मुख्य तौर पर मलयाली हिन्‍दू मनाते हैं. जिनके लिए यह नए साल की शुरुआत मानी जाती है. असल में ओणम मलयाली हिंदुओं का नव वर्ष है. हर साल इस त्योहार को धूम-धाम से मनाया जाता है.

अगर आप सोच रहे हैं कि ओणम क्या है और इसे क्यों मनाते हैं तो चलिए हम देते हैं इसका जवाब. असल में माना जाता है कि थिरूओणम, यानी ओणम के दूसरे दिन राजा बलि पधारते हैं. इसलिए इसदिन पूजा का विधान है. अगर आप भी सोच रहे हैं कि ओणम कब है, तो आपको बता दें कि ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम से शुरू होता है.

वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्‍त-सितंबर में पड़ता है. ओणम के पहले दो दिन अहम होते हैं. ओणम का पहला दिन उथ्रादम कहलाता है और दूसरा ओणम या थिरूओणम. ओणम के पहले दिन यानी उथ्रादम पर लोग घरों की सफाई करते हैं और घरों को सजा दिया जाता है. इसके बाद थिरूओणम पर तड़के पूजा का विधान होता है.

ओणम को मलयालम कैलेंडर के अनुसार राज्य का कृषि पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि ओणम राजा बलि के स्‍वागत में मनाया जाता है. वामन पुराण के अनुसार असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. जब बलि के आधिपत्‍य से घबराकर इंद्र देवता भगवान विष्‍णु से मदद मांगने पहुंचे, तो भगवान विष्‍णु वामन अवतार लेकर बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे.

वामन ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया. अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख सकते हैं. भगवान वामन ने ऐसा ही किया. इस तरह राजा बलि के आधिपत्‍य में जो कुछ भी था वह देवताओं को वापस मिल गया.

इसके साथ ही बलि के भाव को देखकर भगवान वामन ने उन्हें वरदान दिया कि वह साल में एक बार अपनी प्रजा और राज्‍य से मिलने जा सकते हैं. इसी के साथ यह मान्यता पड़ी की राजा बलि ओणम के त्‍योहार पर अपनी प्रजा से मिलतने आते हैं.

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