शिक्षा व्यवस्था को सुधाने के लिए सरकार गंभीर, नई शिक्षा नीति लाने की तैयारी!
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संशाधन मंत्री देश में शिक्षा व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए पूरे देश का दौरा कर रहे हैं। यही कारण है कि जबसे रमेश पोखरियाल निशंक देश के मानव संशाधन यानि देश के नए शिक्षा मंत्री बने हैं देश में नई शिक्षानीति को लागू करने के लिए दिन रात काम करने में जुटे हुए हैं। यही कारण है कि वे देश के पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक का दौरा कर रहे हैं। सरकार और मंत्रालय के इस पहल से भारतीय शिक्षा में गुणात्मक और सकारात्मक बदलाव हो सकेगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि नई शिक्षा नीति से श्रेष्ठ भारत का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नई शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण की आधारशिला भी बनेगी। पिछले दिनों डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का आना देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण पल है। आज के विद्यार्थी कल के नए भारत के सपनों को साकार करने में सक्षम हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु रहा है। देश ने हमेशा पूरी दुनिया को नेतृत्व दी है। हमारे दर्शन, ज्ञान और विज्ञान की पूरी दुनिया को जरूरत है। दुनिया की सुख और शांति के लिए हम पराकाष्ठा तक गए हैं। जब तक धरती पर कोई प्राणी दुखी रहेगा हम सुखी नहीं रहेंगे, ये भारत की सोच है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश समूचे विश्व में अग्रणी बन रहा है। उन्होंने चंद्रयान मिशन को इस दिशा में बड़ा कदम बताते हुए वैज्ञानिकों को बधाई भी दी थी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी देश को विश्व के शिखर पर ले जाने में अपना योगदान दें। जीवन में परिवर्तन संकल्प से आता है। हर चुनौती का मुकाबला करने के लिए खड़े हों तो चुनौती अवसर के रूप में तब्दील हो जाएगी। विद्यार्थी योद्धा की तरह मैदान में जाएं। देश गर्व कर सके ऐसा काम करें। इस दौरान निशंक ने कहा है कि देश भर के छात्र-छात्राओं के लिए स्वयंप्रभा पोर्टल और दीक्षारंभ कार्यक्रम अच्छे परिणाम लेकर आया है। उन्होंने कहा कि अवध विश्वविद्यालय की तरह सभी विश्वविद्यालयों को अपना कुलगीत बनाना चाहिए। मंत्री ने कहा है कि देश के 727 अपेक्षाकृत नए संस्थानों को उनकी रैंकिंग में सुधार के लिए मदद की जाएगी। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मार्गदर्शन व मार्गदर्शक योजनाओं के तहत आइआइटी व एनआइटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर तथा उत्कृष्ट संस्थान इन अपेक्षाकृत नए संस्थानों की मदद करेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के कई योजनाओं की शुरुआत भी पिछले दिनों की है। उन्होंने 360 डिग्री फीडबैक सेवा की घोषणा की। इसके तहत शिक्षकों की प्रोन्नति में छात्रों के फीडबैक को भी महत्व दिया जाएगा। निशंक ने कहा कि मार्गदर्शन योजना के तहत उत्कृष्ट संस्थान 10-12 नए संस्थानों की मदद करेंगे। बेहतर प्रदर्शन करने वाले उत्कृष्ट संस्थानों को प्रत्येक नए संस्थानों की मदद के लिए 50 लाख रुपये तक दिए जाएंगे। यह राशि तीन साल की अवधि के लिए होगी। इस अवधि में उन्हें नए संस्थानों में प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशाला, संगोष्ठी व शैक्षणिक यात्रा आदि का आयोजन करना होगा। मार्गदर्शक योजना के तहत मदद करने वाले सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को चिह्नित किया गया है। ये मार्गदर्शक नए संस्थानों का दौरा करेंगे, वहीं रुकेंगे और उन्हें रैंकिंग सुधारने के लिए मार्गदर्शन देंगे। इसके लिए आइआइटी व एनआइटी से सेवानिवृत्त 942 शिक्षकों के आवेदन आए थे। इनमें से 296 को चिह्नित किया गया है। मंत्री ने कहा कि एआइसीटीई ने 7-10 सप्ताह के लिए समर इंटर्नशिप अनिवार्य कर दिया है, ताकि छात्रों को उचित उद्योग या संगठन का प्रायोगिक अनुभव प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जयपुर में इसी साल नवंबर-दिसंबर में ‘डब्ल्यूएडब्ल्यूई सम्मिट 2019’ का आयोजन किया जाएगा। विश्वरविद्यालय अनुदान आयोग ग्रेजुएशन के पाठ्यक्रमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। खबरों के अनुसार यूजीसी ग्रेजुएशन की अवधि 3 साल की बजाय 4 करने पर विचार कर रहा है। 4 साल का ग्रेजुएशन का यह पाठ्यक्रम देश की सभी यूनिवर्सिटीज पर लागू होगा। 4 साल के स्नातक करने के बाद छात्र सीधे पीएचडी कर सकेंगे। कोई छात्र अगर 4 साल के ग्रेजुएशन करने के बाद मास्टुर डिग्री लेना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वर्तमान व्यवस्था में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी और बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग जैसे कोर्स 4 साल के हैं। इन कोर्सों को करने के बाद पीएचडी की जा सकती है। यूजीसी सभी पहलुओं को अच्छीय तरह समझने के बाद ही 4 साल के पाठ्यकक्रम की योजना को लागू करना चाहता है। कुल मिलाकर देश के नए मानव संशाधन विकास मंत्री का मुख्य लक्ष्य है देश में नई शिक्षा नीति सभी के सहयोग और सभी के आम सहमत से लागू की जाए। इसके लिए राज्यों के शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किए जाने वाला है।