गरीबों के पैसे डूबोकर कैसा राष्ट्रधर्म निभा रही चहेते उद्योपतियों पर मेहरबान सरकार: अभिषेक

गरीबों के पैसे डूबोकर कैसा राष्ट्रधर्म निभा रही चहेते उद्योपतियों पर मेहरबान सरकार: अभिषेक
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हिमाचल कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने कहा कि कर्ज में डूबे देश के किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं और कईयों की संपत्तियों को बैंक कुर्क कर रहे हैं जबकि सरकार 4-5 चहेते उद्योगतियों पर मेहरबान है।उन्होंने कहा कि घपले के आरोपों से घिरे पीएमसी (पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आॅपरेटिव) बैंक में हजारों लोगों का पैसा डूब रहा है तथा लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।इस साल एस.बी.आई. द्वारा 220 डिफाल्टर्स के 76,000 करोड़ रुपए को राइट ऑफ कर दिया। गरीब व मध्यमवर्गीय लोगों को बीच चौराहे पर छोडक़र उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने में राष्ट्र हित कहां है और सरकार यह कैसा राष्ट्र धर्म निभा रही है। जारी प्रेस ब्यान में उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण हर वर्ग दु:खी है। सरकार ने अपने हित साधने के लिए तथा अपनी खराब नीतियों पर पर्दा डालने के लिए आर.बी.आई. के खजाने को खाली कर दिया है। निजी क्षेत्र में लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं।
सरकार की नीतियों के कारण नौकरियां देने की जगह छीनी जा रही है। ऐसी स्थिति में सरकार बताए कि उनकी जिम्मेवारी क्या बनती है। अभिषेक राणा ने कहा कि किसी भी सरकार का कर्तव्य होता है कि वह देश व जनता की सुरक्षा करें तथा राष्ट्रधर्म निभाए। पुलवामा में हुए हमले के बाद सरकार की तरफ से की गई कार्यवाही राष्ट्र धर्म की पालना थी कि पाकिस्तान को मुंह तोड़ करारा जबाव दिया गया लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। वर्ष 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्री जी ने अपने दुश्मन को करारा जबाव दिया था। उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए। वर्ष 1999 में अघोषित युद्ध में भी पाकिस्तान को गहरे जख्म दिए गए। यह सब करना सरकारों का राष्ट्रधर्म है लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार अपना राष्ट्रधर्म भूल चुकी है तथा बदले की भावना से ओतप्रोत होकर काम कर रही है जिसमें न देश का हित है और देश की जनता के अधिकार सुरक्षित रह गए हैं।

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