महबूबा मुफ्ती की सरकार में हुई नियुक्तियों पर HC का नोटिस, अंतरिम राहत से इंकार

महबूबा मुफ्ती की सरकार में हुई नियुक्तियों पर HC का नोटिस, अंतरिम राहत से इंकार
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कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस ताशी रबस्तान ने के.वी.आई.बी. में अधिकारियों की पूर्व की महबूबा मुफ्ती सरकार में पिछले दरवाजे से नियुक्तियों के सनसनीखेज मामले में नोटिस जारी कर राज्य एवं के.वी.आई.बी. को किसी प्रकार से याचिकाकर्त्ताओं को राहत देने से इंकार कर दिया है। के.बी.आई.बी. में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के रिश्तेदार सरताज मदनी के बेटे अरूट मदनी को पिछले दरवाजे से नियुक्त किया गया था। याचिकाकर्ता शुभम थापा ने हाईकोर्ट जम्मू में याचिका के माध्यम से के.वी.आई.बी. में नियुक्तियों को सरकार की ओर से रद्द किए जाने का मामला ध्यान में लाते हुए आंतरिक राहत प्रदान करने का आग्रह किया था। सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त एडवोकेट जनरल, सरकारी वकील ने अपनी बहस में नियुक्तियों के मामले का खुलासा किया, जिसमें नियमों को नजरअंदाज किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने उच्च स्तर पर मामले की जांच के आदेश दिए थे, जिसमें बड़े स्तर पर धांधली हुई और अरूट मदनी की पिछले दरवाजे से कथित नियुक्ति का मामला सामने आया, जो पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का करीबी रिश्तेदार है। सरकारी पक्ष ने कहा कि आर.के. गोयल ने के.वी.आई.बी. में भर्ती धांधलियों को पकड़ा था और डी.जी. सी.आई.डी. कौ रिपोर्ट ने पूरी मिलीभगत का खुलासा किया था। कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अरूट मदनी पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के रिश्तेदार सरताज मदनी का बेटा है और कानून की अवमानना कर उसकी नियुक्ति की गई है। रिपोर्ट में यह खुलासा भी हुआ कि उप-मुख्यमंत्री के तत्कालीन पी. आर. ओ. ने नियुक्ति के लिए 5 लाख रुपए लिए थे। कोर्ट में अतिरिक्त एडबोकेट जनरल ने आग्रह किया कि इस बड़े घोटाले में किसी प्रकार की अंतरिम राहत प्रदान न की जाए और याचिकाकर्त्ता का दावा है कि उसकी नियुक्ति सही ढंग से हुई है, जबकि ये नियुक्तियां रिपोर्ट के मुताबिक संदेह के दायरे में हैं। याचिकाकर्त्ता ने सरकार के 28 जून, 2019 के आदेश को खारिज कर राहत प्रदान करने के लिए कहा था।
कोर्ट में पेश रिपोर्ट के मुताबिक मुश्ताक अहमद मलिक उर्फ मुश्ताक नूराबादी निवासी खुर बटपोरा, डी.एच. पोरा कुलगाम, जो मौजूदा समय में राजबाग, श्रीनगर के होटल में रहता है। पूर्व उप-मुख्यमंत्री का पी.आर.ओ. था औऱ उसने उम्मीदवारों से 5-5 लाख रुपए नियुक्ति के लिए थे। ऐसी ही रिपोर्ट अन्य स्थान से भी हासिल हुई है। हाईकोर्ट का मामले पर गौर करते हुए र दोनों पक्षों को सुनने के बाद मानना था कि इस समय अंतिरम राहत प्रदान नहीं की जा सकती है जबकि अंतिम बहस के दौरान गौर किया जा सकता है। जस्टिस ताशी रबस्तान ने नोटिस जारी कर आपत्तियां दर्ज करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है।

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