राज्यसभा का 250वां सत्र: 15 महत्वपूर्ण विधेयक पारित, नायडूने बताया एतिहासिक
राज्यसभा का 250वां सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान नागरिकता संशोधन विधेयक, एससी एसटी आरक्षण को दस साल आगे बढ़ाने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक और ट्रांसजेंडर विधेयक सहित 15 महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए तथा सत्र के दौरान शत प्रतिशत कामकाज हुआ। राज्यसभा में लगातार ऐसा दूसरी बार हुआ है जब सदन में शतप्रतिशत कामकाज दर्ज किया गया। राष्ट्रगीत की धुन बजाने के बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा से पहले सभापति एम वेंकैया नायडू ने अपने पारंपरिक भाषण में सत्र के दौरान हुए कामकाज और लोकमहत्व के विषयों पर की गई चर्चाओं पर संतोष जताते हुए इसे ‘ऐतिहासिक’ करार दिया। 18 नवंबर से शुरु हुए इस सत्र में कुल 20 बैठकें हुईं। इस दौरान सदन में 108 घंटे 33 मिनट तक निर्धारित कामकाज होना था। विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के चलते सदन के कामकाज में 11 घंटे 47 मिनट का नुकसान हुआ। किंतु सदस्यों ने 10 घंटे 52 मिनट अधिक काम करके सदन की उत्पादकता को 100 प्रतिशत पर ला दिया। सत्र के दौरान कुल 15 विधेयक पारित किए गए या विचार कर लौटाए गए। इनमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक शामिल है जो इस तरह के व्यक्तियों के हितों के लिए लाया गया अपनी तरह का पहला विधेयक है। इस दौरान नागरिकता (संशोधन) विधेयक तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण को दस साल बढ़ाने संबंधी संविधान (126वां) संशोधन विधेयकों पर सदन में लंबी चर्चा हुई तथा विपक्ष एवं सत्तापक्ष के लोगों ने खुलकर अपने विचार रखे। इस दौरान ई सिगरेट पर रोक लगाने संबंधी विधेयक, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र संबंधी विधेयक सहित विभिन्न विधेयकों पर चर्चा हुई। साथ ही उच्च सदन में लंबे अंतराल के बाद अनुदान की अनुपूरक मांगों को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटाया गया। सत्र के दौरान सदस्यों ने दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव तथा शून्यकाल में एवं विशेष उल्लेख के जरिए लोकमहत्व के विभिन्न मुद्दे उठाए।